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मोदी सरकार के सात साल का कार्यकाल पूरी तरह से नकारा,हानिकारक एवं देशवासियों के लिए निर्दयी,निष्ठुर एवं पीड़ादायक साबित हुआ है: कांग्रेस

रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे,लाल किशोर नाथ शाहदेव एवं डा राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के सात सालों का कार्यकाल पूरी तरह से नकारा,हानिकारक एवं देशवासियों के लिए निर्दयी,निष्ठुर एवं पीड़ादायक साबित हुआ है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यदि संविधान में सरकार को बीच में ही बुलाने की व्यवस्था होती, तो देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिना देर किये सत्ता से बेदखल कर देती। कोरोना महामारी के कुप्रबंधन के चलते देश में लोगों लोगों ने सिसक-सिसक कर दम तोड़ दिया। हालांकि मौत का सरकारी आंकड़ा 3,22,523 है,पर सच्चाई इससे कई गुणा अधिक भयावह है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहली लहर के बाद कोरोना पर विजय के लिए अपनी पीठ स्वयं थपथपा ली, जबकि दुनिया के दूसरे देश टीकाकरण में गंभीर रहे। अमेरिका-इंग्लैंड और यूरोप के तमाम देशों ने अपनी बड़ी आबादी को टीका दिलाया और इतना ही नहीं, 2 बार से 3 बार से ज्यादा टीकाकरण के लिए कई कंपनियों को वैक्सीन खरीदने के लिए ऑर्डर भी दिया। जबकि भारत ने अपनी आबादी को एक बार भी पूरा टीकाकरण के लायक जरूरी डोजों को ना तो स्वयं के लिए अपने देश में तैयार किया और ना ही विदेशी कंपनियों को ऑर्डर दिया। विदेशी कंपनियों को तब ऑर्डर देने की पहल शुरू हुई, जब उन कंपनियों की क्षमता एक से दो साल के लिए आर्डर फुल हो चुकी है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि जॉनसन एंड जॉनसन 100 करोड़ डोज भारत में तैयार करेगी, परंतु ये सभी डोज विदेश चली जाएगी,क्योंकि भारत ने पहले ऑर्डर नहीं दिया। अब केंद्र सरकार विदेशी कंपनियां के पीछे भागे चल रही है और वैक्सीन दो, वैक्सीन दो की याचना कर रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया के मुल्कों ने भारत में बनने वाली वैक्सीन के डोज को बुक कर लेने का काम किया और केंद्र सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रह गयी। अगले एक साल तक पूरी क्षमता हो चुकी है। इसी टाल मटोल नीति ने देश को फाइजर की उस शर्त को मानना पड़ रहा है कि उसके टीके के खराब असर के लिए कोई उस पर दावा नहीं कर सकता। प्रदेश प्रवक्ता आलोक दूबे ने कहा कि पूरे देश में ऑक्सीजन का गंभीर संकट है।संसदीय समिति ने नंबर 2020 में इसकी चेतावनी दी, कांग्रेस पार्टी और विशेषज्ञों ने भी केंद्र सरकार को आगाह किया, पर मोदी सरकार ने 2021 तक 9000 टन ऑक्सीजन निर्यात करती रही। देश के लोग रेमेडसिविर इंजेक्शन के लिए तिल-तिल कर मरते रहे, पर मोदी सरकार ने 11 लाख से अधिक इंजेक्शन का निर्यात कर डाला। दुनिया के देश जब वैक्सीन लगा रहे थे, तो भारत 6.63 करोड़ वैक्सीन को दूसरे देशों को निर्यात कर रहा था। अभी देश में वैक्सीनेशन की जो रफ्तार है,उसमें 18 से 44वर्ष तक के युवाओं को वैक्सीनेट करने में 3 वर्ष यानी 1091 दिन लगेंगे।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 7 वर्षों के कार्यकाल में महंगाई चरम पर पहुंच गयी है। आज पेट्रोल और डीजल की कीमत प्रति लीटर 100 रुपये के आसपास पहुंच गयी है और पेट्रोल-डीजल की कीमत लगभग बराबर हो गयी है। वहीं सात सालों में देश में गरीबी भी बढ़ी है। केंद्र की मोदी सरकार ने गरीबी की बजाय मोदी सरकार ने गरीबों पर ही वार किया।
प्रदेश प्रवक्ता किशोर शाहदेव ने कहा कि वर्ष 2014 में कच्चे तेल की कीमत 108 रुपये प्रति बैरल थी, तब यूपीए शासनकाल में पेट्रोल 71.51 रुपये प्रति लीटर और डीजल 55.49 रुपये प्रति लीटर था। लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 7 साल में अनर्गल टैक्स लगाकर 22 लाख करोड़ रुपये इकट्ठा किया है। पिछले सात सालों में कच्चे तेल 20 से 65 रुपये प्रति बैरल के नीचे रहा, लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमत आज 100 रुपये के आसपास पहुंच गयी है।

प्रदेश प्रवक्ता किशोर शाहदेव ने कहा कि मई 2020 से मई 2021 के बीच खाद्य तेलों की कीमत में भी 60 से 70 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। सरसो तेल की कीमत में एक साल में 115 रुपये से बढ़कर 200रुपये प्रति किलो, पाम आयल 85 रुपये से बढ़कर 138 रुपये, सूरजमुखी तेल 110 से बढ़कर 175रुपये, वनस्पिति डालडा 90 रुपये से बढ़कर 140 रुपये और सोयाबीन तेल 100 रुपये से बढ़कर 155 रुपये पहुंच गयी है। इसी तरह से दलहर की कीमत ने भी गृहणी के रसोई के बजट को खराब कर दिया है। 1 साल में चना दाल 70 रुपये से 90 रुपये किलो, अरहर दाल 90 से 120 रुपये और मसूर दाल 65 से बढ़कर 90 रुपये हो गया है। दूसरी तरफ रसोई गैस की कीमत 400 रुपये से बढ़कर 900 रुपये पहुंच गयी है।

कांग्रेस प्रवक्ता किशोर शाहदेव ने कहा कि विश्व बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में यूपीए के 10 साल के कार्यकाल में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ पाये, परंतु मोदी सरकार के 7 साल के बाद पीईडब्ल्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार अकेले 2020 में देश की 3.20करोड़ लोग मध्यम वर्ग श्रेणी से बाहर हो गये। यही नहीं 23 करोड़ भारतीय एक बार फिर गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में शामिल हो गये।

 

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डा राजेश गुप्ता छोटू ने देश में बेरोजगारी बढ़ने, अर्थव्यवस्था चौपट होने और लघु एवं मध्यम उद्योग के बर्बाद होने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के 7 वर्षां के कार्यकाल को जिम्मेवार ठहराया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश के लिए हानिकारक साबित हुई है। मोदी सरकार के सात साल में सात आपराधिक भूल हुई है।

प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सात साल, सात आपराधिक भूल में पहला अर्थव्यवस्था बन गयी अव्यवस्था, दूसरा बढ़ती बेरोजगारी बनी है महामारी, तीसरा कमर तोड़ महंगाई-चारों तरफ है हाहाकार, चौथा किसानों पर घमंडी सरकार का प्रहार, पांचवां गरीब एवं मध्यम वर्ग परिवार हो गये हैं लाचार, छठा कोरोना आपदा का दूसरा लहर-मोदी सरकार है जिम्मेवार और सातवां राष्ट्रीय सुरक्षा, देश की बड़ी चिंता।
प्रदेश प्रवक्ता डा राजेश गुप्ता ने कहा कि वर्ष 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आयी, तो उसे विरासत में कांग्रेस की औसतन 8.1 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर मिली। 73 सालों में पहली बार देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में -7.5 प्रतिशत जीडीपी है। प्रति व्यक्ति आय की दर में दुनिया में सबसे कम बांग्लादेश से भी भारत नीचे पहुंचा, वित्तीय कुप्रबंधन और गड़बड़ी के चलते मोदी सरकार ने देश को कर्ज के अंधे कुएं में झोंकते हुए 2019 में 34 प्रतिशत से बढ़कर साल 2020 के अंत में 90 प्रतिशत हो गया। दो करोड़ रोजगार का वादा के अनुसार 14 करोड़ रोजगार देना, तो दूर बेरोजगारी की दर डबल डिजिट का आंकड़ा पार कर 11.3 प्रतिशत तक पहुंच गयी। सीएमआईई के अनुसार देश में 12.20करोड़ लोगों ने अपना रोजी, रोजगार खो दिया, इसमें 75 प्रतिशत दिहाड़ी मजदूर है।
कमर तोड़ महंगाई, खाद्य पदार्थां से लेकर तेल के भाव आसमान छू रहे है। इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण पेट्रोल 100 रुपये लीटर के आसपास , तो सरसो तेल 200 रुपये प्रति लीटर पार कर चुका है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बेरोजगार बढ़ रही है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार मई महीने में बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत से अधिक के साथ समाप्त हो रहा है।

कोरोना तो देश में 2020-21 में आयी, परंतु देश की अर्थव्यवस्था नोटबंदी के बाद जो लुढ़की है, वह अभी तक नहीं संभली है। लॉकडाउन का जो असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है,उसके समाधान के लिए सरकार के प्रयास दिखावे भर के लिए भी कहीं से गंभीरता प्रदर्शित नहीं की है।
कृषि काले कानून से 400 से अधिक किसानों की शहादत हो गई,नोटबंदी से देश को नुकसान हुआ एवं 200 से अधिक लोगों की जान चली गई, गब्बर सिंह टैक्स जीएसटी में रोज नये संशोधन हो रहे हैं,संघीय ढ़ाँचे पर प्रहार हो रहा है,यही भाजपा सरकार की उपलब्धियां रही हैं।

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