रांची: अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उलगुलान के आगाज की शुरुआत व संघर्ष के प्रतीक संथाल हूल दिवस के मौके पर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से राजधानी रांची के सिद्धो कान्हू पार्क कांके रोड राँची में सिद्धू कान्हू को श्रद्धांजलि दी गई एवं पार्क स्थित सिद्धू कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर व दीप जलाकर चाँद भैरो-झूलो फूलो को भी श्रद्धांजलि दी।इस मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने सर्वप्रथम सिद्धु कान्हू के कदमों में शीश झुकाया उनके साथ कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे,लाल किशोर नाथ शाहदेव,डा राजेश गुप्ता छोटू,अमूल्य नीरज खलखो,केदार पासवान,सतीश पाल मुंजीनि,बेलस तिर्की,सन्नी टोप्पो,निरंजन पासवान,सुषमा हेमरोम समेत पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित थे।
आदिवासी कांग्रेस के रांची जिला अध्यक्ष बेलस तिर्की एवं सतीश पाल मुंजीनि एवं सन्नी टोप्पो के देखरेख में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। मौके पर अमर शहीद सिद्धू कान्हू ,फूलो-झानो की शहादत को नमन करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ0 रामेश्वर उरांव ने कहा कि सिद्धू-कान्हू की शहादत के प्रेरणा से ही झारखंड में आदिवासियों-मूलवासियों की जमीन को बचाने में सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती रघुवर दास के शासनकाल में लोगों की जमीन को लूटने का काम किया गया, लेकिन गठबंधन सरकार ने अमर शहीद सिद्धू-कान्हू, फूलो-झानो की प्रेरणा से ही जमीन को बचाने का काम किया है। उनकी प्रेरणा से भविष्य में भी सरकार उनके दिखाये मार्गां पर चल कर विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी। डॉ0 उरांव ने कहा कि झारखंड का इतिहास संघर्षों से रचा बसा हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पहले ही आदिवासी समाज ने अपनी परंपरा और विरासत की रक्षा को लेकर अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष किया, जिसके परिणाम स्वरूप एसपीटी और सीएनटी कानून बनाया गया। उन्होंने कहा आदिवासी हूं या गैर आदिवासी सिद्धू कान्हू सबके लिए आदरणीय थे आदरणीय हैं और आदरणीय रहेंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार गठन के बाद जनजातीय समाज के विकास के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं।
इस मौके प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा कि अमर शहीद सिद्धू कान्हू, फूलो और झानू की शहादत को इतिहास में पहला स्थान नहीं मिल पाया जिसकी वे हकदार थी। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी शासन की ज्यादती के खिलाफ महिला होते हुए भी फूलो और झानो ने अपनी वीरता दिखाई और 21 अंग्रेजी सैनिकों को मार डाला। परंतु जिस तरह से रानी लक्ष्मीबाई की वीरता,बलिदान और संक्रांति को इतिहास में स्थान मिला वह स्थान हूल दिवस को नहीं मिल पाया।
प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे,लाल किशोर नाथ शाहदेव,डा राजेश गुप्ता ने कहा कि अन्याय जुल्मी व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक हूल दिवस की शहादत को कभी भुला नहीं जा सकता है। शहीदों ने जिस सपने को लेकर अपनी शहादत दी थी राज्य सरकार उन सपनों को पूरा करने के लिए प्रयत्नशील है।