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कोरोना महामारी में किसानों के समक्ष उत्पन्न विकट परिस्थिति की भरपाई हेतु सरकार राहत पैकेज का ऐलान करें- बंधु तिर्की

वैश्विक महामारी कोविड-19 (कोरोना) कालखंड में सबसे अधिक चौतरफा नुकसान प्रदेश के उन लाखों किसानों को उठाना पड़ रहा है जो एक तरफ सरकार के द्वारा धान अधिप्राप्ति केंद्रों में अपने उत्पादित धान बेचने के बाद भी उन्हें अभी तक पूरी राशि का भुगतान नहीं मिल पाया है महीनों पहले एक बार आधे-अधूरे राशि का भुगतान जैसे-तैसे कर दिया गया ज्ञात हो कि धान अधिप्राप्ति केंद्रों के संचालकों के गड़बड़झाला एवं अनियमितता के कारण किसान अपना पूरा धान सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच नहीं पाये हैं वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के लाखों किसान के समक्ष उनके द्वारा उत्पादित सब्जी फसल की लागत खर्च नहीं मिल पाने के कारण खून के आंसू रोने को मजबूर हैं बीज बोने से लेकर तैयार सब्जी तक बाजार पहुंचाने की कीमत भी उन्हें नहीं मिल रहा है।

प्रातः सब्जी तोड़ने से लेकर 2:00 बजे तक ही सब्जी बाजार में बेचने की समय सीमा की बाध्यता के कारण किसान अपने उत्पादित सब्जी को व्यापारियों के हाथों औने पौने दाम बेचने को मजबूर हैं व्यापारियों के द्वारा थोक मंडी में कद्दू, बैंगन,मूली, टमाटर,खीरा,हरी,मिर्च आदि सब्जियों की कीमत औसतन 2,3 रु प्रति किलो की दर से खरीद किया जा रहा है क्योंकि 2:00 बजे के बाद बाजार भी बंद हो जाता है इसलिए किसान जैसे तैसे अपना सब्जी बेच कर भारी मन से घर की ओर लौट जाते हैं कुछ किसान तो अपना सब्जी बेच भी नहीं पाते और सड़क किनारे फेंक कर चले जाते हैं उनके पास अपनी सब्जी उचित मूल्य पर किसी दूसरे व्यापारी के पास बेचने का विकल्प भी नहीं रहता इनमें से अधिकतर किसान कृषि लेकर खेती किए हैं बहुत सारे किसानों ने तो महिला समूह से निजी तौर पर ऋण लेकर खेती किये है भारी पूंजी लगाकर किसान खेती तो कर रहे हैं लेकिन उन्हें उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है उदाहरण स्वरूप बेड़ो प्रखंड के लगभग 7700 किसानों ने केसीसी लोन लेकर खेती किए हैं इन्हीं में से जरिया गांव के किसान पंकज कुमार महतो है जो बताते हैं कि उन्होंने तरबूज की खेती की थी जिसमें लगभग ढाई लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा इसी तरह असरो गांव के किसान दुर्गा उरांव बताते हैं कि उन्होंने 1 एकड़ से ऊपर अपनी जमीन में टमाटर लगाए थे किंतु हजारों रुपए का नुकसान हो गया इस तरह से प्रदेश में लाखों किसान है जिन्हें खेती में काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है वहीं दूसरी और खाद बीज एवं कीटनाशक दवाइयों की कीमत आसमान छू रहा है डीएपी खाद जो पहले 1200 से 1400 रुपए में मिलता था वही आज ₹2000 प्रति बैग की दर से मिल रहा है ज्ञात हो कि पिछले वर्ष 2020 में भी इसी कोरोना कालखंड में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था वह उस छती से संभल भी नहीं पाए थे कि वर्ष 2021 के इस करोना काल में कमरतोड़ नुकसान से उनका सामना हो गया वहीं अन्य खाद्य पदार्थो सहित पेट्रोल-डीजल इत्यादि चीजों का दाम आसमान छू रहा है यह एक प्रखंड या जिला की बात नहीं पूरे प्रदेश के किसानों की व्यथा है

विधायक बंधु तिर्की ने सरकार से मांग की है कि खरीदे गए धान का पूर्ण भुगतान यथाशीघ्र किया जाए तथा किसानों को खाद एवं बीज सब्सिडी दर पर उपलब्ध कराई जाए एवं सरकार के द्वारा लाखों पीड़ित किसानों को राहत पैकेज देकर उनके जख्मों को भरने का प्रयास किया जाए।

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