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कैबिनेट का बड़ा फैसला: अब मेयर और नगर निकाय अध्यक्ष को हटाने की शक्ति राज्य सरकार के पास

मेयर-अध्यक्ष का चुनाव दलीय आधार पर नहीं होगा, डिप्टी मेयर-उपाध्यक्ष को सीधे पार्षद चुनेंगे झारखंड नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2021 से संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी विधानसभा से पारित होने के बाद लागू होगा कानून

रांची:झारखंड में मेयर और नगर निकायों के अध्यक्षों द्वारा नियमों का उल्लंघन करने की स्थिति में उन्हें उनके पदों से हटाने की शक्ति अब राज्य सरकार के हाथों में होगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में मंगलवार 24 अगस्त को हुई कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित संशोधन विधेयक के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी है.नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा लाये गये झारखंड नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2021 से संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट में रखा गया था, जिसे मंजूरी दे दी गयी है. पारित प्रस्ताव के अनुसार, झारखंड के नगर निकायों में मेयर और अध्यक्ष का चुनाव दलगत आधार पर नहीं कराया जायेगा. इसके अलावा डिप्टी मेयर और उपाध्यक्ष का चुनाव निर्वाचित पार्षद बहुमत के आधार पर करेंगे.

कैबिनेट ने जिस विधेयक के प्रस्ताव को मंजूर दी है कि उन परिस्थितियों का जिक्र किया गया है, जिसके तहत मेयर और अध्यक्ष को हटाया जा सकता है. इस विधेयक के अनुसार, मेयर और अध्यक्षों को निम्न परिस्थितियों में सरकार उनके पद से हटा सकती है

(a). मेयर और नगर निकाय के अध्यक्ष अगर बोर्ड की तीन से अधिक बैठकों में बिना पर्याप्त कारण बताये अनुपस्थित रहते हैं.
(b). मेयर अगर अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही करते हैं या जानबूझकर कर कर्तव्य से इनकार करते हैं
(c) . किसी प्रकार के कदाचार के दोषी पाये जाते हैं
(d) . शारीरिक अथवा मानसिक तौर पर अक्षम पाये जाते हैं
(e) . किसी आपराधिक मामले में अभियुक्त होने के चलते छह माह से अधिक समय से फरार रहने के दोषी हों.
इन तमाम परिस्थितियों में सरकार मेयर और अध्यक्ष को स्पष्टीकरण देने का समुचित अवसर प्रदान कर उनके पद से हटाने का आदेश जारी कर सकती है.

कैबिनेट द्वारा पारित विधेयक के प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा हटाये गये महापौर या अध्यक्ष उस कार्यकाल में शेष अवधि के दौरान पुनः इस पद पर निर्वाचित नहीं हो सकेंगे. माना जा रहा है कि कैबिनेट द्वारा इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद अब झारखंड नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2021 को विधानसभा के आगामी सत्र में सदन पटल पर रखा जायेगा. अगर विधेयक पारित हुआ तो सरकार को मेयर और अध्यक्षों को हटाने की शक्ति मिल जायेगी.

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