रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और डॉ0 राजेश गुप्ता छोटू ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के त्यागपत्र को काफी विलंब से दिया गया कदम बताते हुए कहा कि वैश्विक महामारी के दौरान केंद्र सरकार की पूरी विफलता पर पर्दा डालने की कोशिश की गयी है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का त्यागपत्र लेकर प्रधानमंत्री ने भी यह स्वीकार कर लिया कि वैश्विक महामारी के कारण स्वास्थ्य मंत्रालय अपने दायित्वों पर खरा उतरने में सफल नहीं रहा। लेकिन सिर्फ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से प्रधानमंत्री अपनी जिम्मेवारियां से नहीं बच सकते है, देश में जो अराजक स्थिति उत्पन्न हुई, कोरोना काल में लाखों लोग हमारे बीच से चले गये, इसके लिए सीधे तौर पर पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही जिम्मेवार है और हर्षवर्धन को तो सिर्फ बलि का बकरा बनाया गया है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का त्यागपत्र काफी विलंब हुआ, कोरोना संक्रमण के कारण स्वास्थ्य मंत्रालय की लापरवाही के कारण लाखों लोगों की जान चली गयी, इसके लिए सिर्फ स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ही जिम्मेवार नहीं है, बल्कि वैक्सीन की कमी और दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन, दवाईयां, बेड, इंजेक्शन समेत अन्य स्वास्थ्य उपकरणों की कमी के लिए भी पूरी तरह से केंद्र सरकार जिम्मेवार है।
प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि शिक्षामंत्री के रूप में रमेश पोखरियाल निशंक ने भी जहां देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने का काम किया, वहीं संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अपने पूरे कार्यकाल में सिर्फ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और केंद्र सरकार की हर विफलता के लिए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार तथा प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को ही जिम्मेवार ठहराते रहे। इस कारण उन्हें अपने से हाथ धोना पड़ा। जबकि मोदी मंत्रिपरिषद में सरकार का चेहरा माने जाने वाले सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर अपने कार्यकाल में अनुचित तरीके से मीडिया मैनेज करने में जुटे रहे, लेकिन जिस तरह से पूरे देश का जनमानस केंद्र सरकार के खिलाफ हो गया है और सोशल मीडिया पर मोदी सरकार के खिलाफ व्यापक अभियान की शुरुआत की गयी है,उसके कारण उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
प्रदेश प्रवक्ता डॉ0 राजेश गुप्ता ने झारखंड की जनता ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपार बहुमत दिया था, लेकिन सिर्फ एक को ही मंत्रिमंडल में स्थान मिला, वहीं बीजेपी की सहयोगी आजसू पार्टी का हाथ खाली ही रह गया है, जिससे आने वाले समय में भाजपा और आजसू पार्टी के बीच दूरियां बढ़ेगी।