रांची:राष्ट्रीय शिक्षा दिवस सह प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की 133 वीं जयंती के अवसर पर मदरसा गौशिया डोरंडा में गौशिया एजुकेशनल एण्ड वेल्फेयर सोसाइटी द्वारा आधुनिक शिक्षा के निर्माण में मौलाना आज़ाद की भूमिका पर सेमिनार का आयोजन किया गया,
अल्पसंख्यक मामलों के जानकार एस अली ने कहा कि स्वतंत्रता भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद बने और उन्होंने भारत में आधुनिक शिक्षा के साथ सम्पूर्ण शिक्षा की नींव डाली, खड़गपूर में पहली आईआईटी स्थापित की, काॅलेजों में बुनियादी शैक्षणिक सुधार हेतु विश्वविधालय अनुदान आयोग, भारतीय कृषि शोध संस्थान, इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसिल, इंडियन सोशल साइंस रिसर्च काउंसिल, इंडियन हिस्टोरिकल रिसर्च काउंसिल, फैकल्टी आॅफ टेक्नोलोजी की स्थापना के साथ साहित्य, ललित कला और संगीत-नाटक अकादमी का गठन किया, 14 वर्ष तक के आयु के सभी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, बालिका शिक्षा को बढ़ावा के साथ साथ व्यवसाय और तकनीकी शिक्षा की सिफारिश की जो आज देश में दी जा रही है,
हाईकोर्ट के अधिवक्ता अफाक अहम ने मौलाना आज़ाद के रांची नजरबंदी के दौरान मदरसा इस्लामिया और अंजुमन इस्लामिया पर प्रकाश डालते हुए मौजूद हालात पर चिंता जताई। वही लतीफ़ आलम ने झारखंड सरकार से मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू युनिवर्सिटी की रीजनल सेंटर के लिए भूमि उपलब्ध कराने, अनुदानित मदरसों में आधुनिक शिक्षा योजना एसपीकूयईएम चालू करने सहित गैर अनुदानित मदरसों को अनुदान से जोड़ने व अल्पसंख्यक की दर्ज देने की मांग किया।
सेमिनार में शिक्षाविद् इस्मे आज़म, मौलाना तौफीक अहमद कादरी, फजलूल कदीर, मौलाना मोख्तार, अफरोज आलम, अब्दुल रज्जाक, मो गुलफाम, मुशताक आलम आदि ने भी विचार प्रकट किया।